Bhairav 108 Naam | Bhairav Ashtothram |श्री भैरव जी के 108 नाम

श्री भैरव जी के 108 नाम

ऊँ ह्रीं भैरवाय नम:

ऊँ ह्रीं भूत- नाथाय नम:

ऊँ ह्रीं भूतात्मने नम:

ऊँ ह्रीं भू-भावनाय नम:

ऊँ ह्रीं क्षेत्रज्ञाय नम:

ऊँ ह्रीं क्षेत्र-पालाय नम:

ऊँ ह्रीं क्षेत्रदाय नम:

ऊँ ह्रीं क्षत्रियाय नम:

ऊँ ह्रीं विराजे नम:

ऊँ ह्रीं श्मशान-वासिने नम:

ऊँ ह्रीं मांसाशिने नम:

ऊँ ह्रीं खर्पराशिने नम:

ऊँ ह्रीं स्मारान्त-कृते नम:

ऊँ ह्रीं रक्तपाय नम:

ऊँ ह्रीं पानपाय नम:

ऊँ ह्रीं सिद्धाय नम:

ऊँ ह्रीं सिद्धिदाय नम:

ऊँ ह्रीं सिद्धि-सेविताय नम:

ऊँ ह्रीं कंकालाय नम:

ऊँ ह्रीं काल-शमनाय नम:

ऊँ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम:

ऊँ ह्रीं कवये नम:

ऊँ ह्रीं त्रि-नेत्राय नम:

ऊँ ह्रीं बहु-नेत्राय नम:

ऊँ ह्रीं पिंगल-लोचनाय नम:

ऊँ ह्रीं शूल-पाणाये नम:

ऊँ ह्रीं खड्ग-पाणाये नम:

ऊँ ह्रीं धूम्र-लोचनाय नम:

ऊँ ह्रीं अभीरवे नम:

ऊँ ह्रीं भैरवी-नाथाय नम:

ऊँ ह्रीं भूतपाय नम:

ऊँ ह्रीं योगिनी-पतये नम:

ऊँ ह्रीं धनदाय नम:

ऊँ ह्रीं अधन-हारिणे नम:

ऊँ ह्रीं धनवते नम:

ऊँ ह्रीं प्रतिभागवते नम:

ऊँ ह्रीं नाग-हाराय नम:

ऊँ ह्रीं नाग-केशाय नम:

ऊँ ह्रीं व्योम-केशाय नम:

ऊँ ह्रीं कपाल-भृते नम:

ऊँ ह्रीं कालाय नम:

ऊँ ह्रीं कपाल-मालिने नम:

ऊँ ह्रीं कमनीयाय नम:

ऊँ ह्रीं कला-निधये नम:

ऊँ ह्रीं त्रिलोचननाय नम:

ऊँ ह्रीं ज्वलन्नेत्राय नम:

ऊँ ह्रीं त्रि-शिखिने नम:

ऊँ ह्रीं त्रि-लोक-भृते नम:

ऊँ ह्रीं त्रिवृत्त-तनयाय नम:

ऊँ ह्रीं डिम्भाय नम:

ऊँ ह्रीं शान्ताय नम:

ऊँ ह्रीं शान्त-जन-प्रियाय नम:

ऊँ ह्रीं बटुकाय नम:

ऊँ ह्रीं बटु-वेषाय नम:

ऊँ ह्रीं खट्वांग-वर-धारकाय नम:

ऊँ ह्रीं भूताध्यक्ष नम:

ऊँ ह्रीं पशु-पतये नम:

ऊँ ह्रीं भिक्षुकाय नम:

ऊँ ह्रीं परिचारकाय नम:

ऊँ ह्रीं धूर्ताय नम:

ऊँ ह्रीं दिगम्बराय नम:

ऊँ ह्रीं शौरये नम:

ऊँ ह्रीं हरिणाय नम:

ऊँ ह्रीं पाण्डु-लोचनाय नम:

ऊँ ह्रीं प्रशान्ताय नम:

ऊँ ह्रीं शान्तिदाय नम:

ऊँ ह्रीं शुद्धाय नम:

ऊँ ह्रीं शंकर-प्रिय-बान्धवाय नम:

ऊँ ह्रीं अष्ट-मूर्तये नम:

ऊँ ह्रीं निधिशाय नम:

ऊँ ह्रीं ज्ञान-चक्षुषे नम:

ऊँ ह्रीं तपो-मयाय नम:

ऊँ ह्रीं अष्टाधाराय नम:

ऊँ ह्रीं षडाधाराय नम:

ऊँ ह्रीं सर्प-युक्ताय नम:

ऊँ ह्रीं शिखि-सखाय नम:

ऊँ ह्रीं भूधराय नम:

ऊँ ह्रीं भूधराधीशाय नम:

ऊँ ह्रीं भू-पतये नम:

ऊँ ह्रीं भू-धरात्मजाय नम:

ऊँ ह्रीं कपाल-धारिणे नम:

ऊँ ह्रीं मुण्डिने नम:

ऊँ ह्रीं नाग-यज्ञोपवीत-वते नम:

ऊँ ह्रीं जृम्भणाय नम:

ऊँ ह्रीं मोहनाय नम:

ऊँ ह्रीं स्तम्भिने नम:

ऊँ ह्रीं मारणाय नम:

ऊँ ह्रीं क्षोभणाय नम:

ऊँ ह्रीं शुद्ध-नीलांज्जन-प्रख्य-देहाय नम:

ऊँ ह्रीं मुण्ड- विभूषणाय नम:

ऊँ ह्रीं बलि-भुजे नम:

ऊँ ह्रीं बलि-भुंग-नाथाय नम:

ऊँ ह्रीं बालाय नम:

ऊँ ह्रीं बाल-पराक्रमाय नम:

ऊँ ह्रीं सर्वापत्-तारणाय नम:

ऊँ ह्रीं दुर्गाय नम:

ऊँ ह्रीं दुष्ट-भूत-निषेविताय नम:

ऊँ ह्रीं कामिने नम:

ऊँ ह्रीं कला-निधये नम:

ऊँ ह्रीं कान्ताय नम:

ऊँ ह्रीं कामिनी-वश-कृद्-वशिने नम:

ऊँ ह्रीं जगद्-रक्षा-कराय नम:

ऊँ ह्रीं अनन्ताय नम:

ऊँ ह्रीं माया-मन्त्रौषधी-मयाय नम:

ऊँ ह्रीं सर्व-सिद्धि-प्रदाय नम:

ऊँ ह्रीं वैद्याय नम:

ऊँ ह्रीं प्रभ-विष्णवे नम:

ऊँ श्री बटुक-भैरव नम:                                                                                                                                      

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